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हिंदू धर्म में, गणेश चतुर्थी हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। यह त्यौहार बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इसी दिन से दस दिवसीय गणेशोत्सव शुरू होता है।
भक्त अपने घरों या सार्वजनिक स्थानों पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और ढोल-नगाड़ों के साथ बड़े हर्षोल्लास के साथ उनका स्वागत करते हैं। इन दस दिनों तक प्रतिदिन गणपति की पूजा की जाती है और अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति का विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी कब है?
इस वर्ष गणेश चतुर्थी बुधवार, 27 अगस्त 2025 को है। गणेश विसर्जन शनिवार, 6 सितंबर 2025 को होगा।
गणेश स्थापना मुहूर्त
सुबह सूर्योदय से दोपहर तक, यानी लगभग 1:30 बजे तक, मन को प्रसन्न रखते हुए, भक्तिभाव से गणेश जी की पूजा करने में कोई समस्या नहीं है। इसके लिए भद्रा काल या अन्य बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता नहीं है।
पूजा मुहूर्त
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक
कुल अवधि: 2 घंटे 34 मिनट
चंद्रदर्शन निषेध समय
गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले, यानी 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे से रात 8:29 बजे तक - अवधि 6 घंटे 34 मिनट
गणेश चतुर्थी के दिन, यानी 27 अगस्त को सुबह 9:28 बजे से रात 8:57 बजे तक - अवधि 11 घंटे 29 मिनट
गणेश स्थापना अनुष्ठान
गणेश चतुर्थी के दिन, सुबह स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर के मंदिर की अच्छी तरह सफाई करें। एक चारपाई पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएँ और उस पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति के सामने गंगाजल, दूर्वा, हल्दी, चंदन, गुलाब, सिंदूर, मौली, जनेऊ, फल, फूल, अक्षत, माला और मोदक चढ़ाएँ।
पूजा के बाद, गणेशजी की आरती के साथ-साथ पार्वती माता, भगवान शंकर और अन्य देवी-देवताओं की भी आरती करें। बप्पा को मोदक का भोग लगाएँ और विधिवत आरती करें।
गणेश चतुर्थी पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
गणेशजी की मूर्ति, कुमकुम, दूर्वा, अक्षत, लाल वस्त्र, मौली, रोली, लौंग, इलायची, सुपारी, पान, पंचमेवा, सिंदूर, जनेऊ जोड़ी, गाय का घी, चीनी, फल, गंगाजल, फूलों की माला, गुलाब जल, इत्र, अगरबत्ती, सिक्का, नारियल, शहद, दही, गुलाल, अष्टगंध, हल्दी, गाय का दूध, मोदक, गुड़, कलश, दीपक और धूप सहित सभी सामग्री अपने पास रखें।
गणेशोत्सव के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
गणेशजी की स्थापना करने से पहले मूर्ति को लाल या पीले कपड़े से ढक दें।
मूर्ति स्थापित करने के बाद ही यह कपड़ा हटाएँ।
मूर्ति स्थापित करने के बाद सात्विक भोजन करें।
दस दिवसीय त्यौहार के दौरान मांस खाने और शराब पीने से बचें।
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